सामुदायिक प्रार्थना
आदर्श पाठ
(प्रारम्भ मे दो मिनिट तक
शान्ति से 'मौन - प्रार्थना ' करने के पश्चात् 'सदगुरुनाथ महाराज कि जय' बोलकर निम्म पाठको
मिलेजुले स्वरो मे गाना चहिऐ ।)
मंगलस्मण (सवैय्या)
मंगल नाम तुम्हारा प्रभू
! जो गावे मंगल होत सदा |
अमंगलहारी कृपा तुम्हरी , जो चाहत दिलको धोत सदा |
तुम आद-अनाद सुमंगल हो, अरु रुप तुम्हार निरमय है
।
तुकड्या कहे जो
भजता तुमको, नित पावत मंगल निर्भय है
।
प्रार्थनाष्टक (हरिगीत का छंद)
है प्रार्थना
गुरुदेव से ,यह स्वर्गसम संसार हो ।
अति उच्चतम जीवन
बने, परमार्थमय व्यवहार हो ॥
ना हम रहे अपने
लिये, हमको सभी से गर्ज है ।
गुरुदेव ! यह
आशीष दे ,जो सोचने का फर्ज है ॥ १॥
हम हो पुजरी तत्व के , गुरुदेव के आदेश के ।
सच प्रेम के , नीत नेम के , सध्दर्म के ॥
हो चीड झुठी राह
कि अन्याय कि अभीमान की।
सेवा करनने को दास की ,पर्वा नही हो के जान की ॥२॥
छोटे न हो हम
बुध्दी से , हो विश्वमयसे ईशमय।
हो राममय अरु कृष्णमय , जगदेवमय जगदीशमय ॥
हर इंद्रियों ताब
कर , हम वीर हो अति धीर हो ।
उज्ज्वल रहे सरसे सदा , निहधर्मरत खंबीर हो ॥ ३॥
यह डर सभी जाता
रहे ,मन बुध्दीका इस देहका ।
निर्भय रहे हम कर्ममें, परदा खुलाकरे स्नेहका ॥
गाते रहे प्रभुनाम पर , प्रभु तत्व पने के लिये।
हो
ब्रह्मविद्द्या का उदय , यह जी तराने के लिये ॥४॥
अति शुध्द हो
आचारसे , तन मन हमारा सर्वदा ।
अध्यात्म की शक्ती हमे , पलभी नहि कर दे जुदा॥
इस अमर आत्मा क
हमें, हर श्वासभरमें गम रहे ।
गर मौतभी हो आगयी, सुख दुःख हम से
सम रहे ॥५॥
गुरुदेव ! तेरी
अमर ज्योतिका हमें निजज्ञान हो ।
सत् ज्ञानही तु
है सदा ,यह विश्वभरमें ध्यान हो ॥
तुझमें नहीं है
पंथ भी , ना देश भी ।
तू है निरामय एकरस , है व्याप्तभी अरु शेष भी ॥६॥
गुण-धर्म
दुलियामें बढे, हर जीवसे कर्तव्य हो ।
गंभीर हो सबके
हृद्य , सच ज्ञानका वत्कव्य हो ॥
यह दुर हो सब
भावाना , 'हम नीच है अस्पृश्य है'।
हर जीवका हो शुध्द मन , जब कर्म उनके स्पृश्य है ॥७॥
हम भिन्न हो इस
देहसे , पर तत्वसे सब एक हो ।
हो ज्ञान सबसे एकही , जिससे मनुज निःशंक हो।।
तुकड्या कहे ऐसा अमरपद, प्राप्त हो संसार में ।
छोडे नही घरबार
पर , हो मस्त गुरु-चरणार
में॥८॥
९ टिप्पण्या:
जय गुरूदेव
Shree gurudev
जय गुरु
जय गुरुदेव
जय गुरुदेव
Jay gurudev
या प्रार्थनेमध्ये काही शब्द गाळल्या गेले आहेत व काहि चुकले आहेत ते दुरुस्त करावे
Iska harmonioum notes do
Pranam koti koti
Maharaj tumhi roj aathwan yete
Tumhi,Damodar Swami Ani Sitaram Swami
Kahi बोलायला shabdh nahi
Tum May bap ho,
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